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India Ukraine Talks 2025: क्या भारत बन गया Silent Diplomat?

Zelensky Putin Modi phone call illustration – India’s neutral mediator role in Ukraine war talks

India Ukraine Talks 2025 इस वक्त global headlines में छाया हुआ है। सबसे पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने पीएम मोदी से बात की, और कुछ दिन बाद पुतिन ने फोन कॉल किया—इससे ऐसा लगने लगा जैसे भारत शांति वार्ता में किसी का ‘silent diplomat’ बन गया हो।

क्या यह सिर्फ illusion है या फिर कुछ ज्यादा? आइए देखे India Ukraine Talks 2025 की पूरी कहानी।

India PM media briefing Ukraine Russia war role

Zelensky का Call — क्या यह एक Symbolic Gesture था या Strategy?

  • दिनांक: 11 अगस्त 2025
  • घटना: यूक्रेनी राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने पीएम मोदी को फोन किया।
  • डिमांड: रूस की तेल बिक्री पर लगाम लगाने में भारत की मदद करें—क्योंकि यही पैसे युद्ध शुरू होने का साधन हैं।
  • मोदी का जवाब: “भारत हमेशा से शांति और बातचीत का पक्षधर रहा है।”

Observors कहते हैं:

  1. Symbolic Gesture: ज़ेलेंस्की शायद optics के लिए ऐसा करना चाहते थे, क्योंकि भारत सीधे दबाव नहीं बना सकता पर global ध्यान खींच सकता है।
  2. Strategic Message: G20 राष्ट्रपति की भूमिका और Global South में भारत की बढ़ती छवि को देखते हुए ये इशारा था कि Ukraine भी India की महरूता चाहता है।

यह दिखाता है कि India Ukraine Talks 2025 महज diplomacy नहीं, बल्कि global signaling का भी हिस्सा हैं।


Putin का Call — दोस्ती और संतुलन का संतुलन

  • दिनांक: 18 अगस्त 2025
  • घटना: रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने मोदी को फोन किया।
  • कहनी: उन्होंने Alaska में ट्रम्प के साथ बात का context बता कर बताया कि दुनिया में स्थिति क्या है।
  • मोदी का जवाब: “भारत पूरे diplomatic प्रयासों का समर्थन करता है।”

विश्लेषकों की नजर से:

  1. Strategic Ties: Cold War के समय से भारत–रूस संबंध मजबूत रहे हैं—यह रक्षा, ऊर्जा और प्रौद्योगिकी साझेदारी के भरोसे चलते हैं।
  2. वित्तीय संतुलन (Balancing Act): यह दिखाता है कि भारत अभी भी Moscow से जुड़ा हुआ है और high-level LINK कायम है।

क्या भारत वाकई ‘Invisible Partner’ या ‘Silent Diplomat’ है?

इस सवाल का उत्तर है — नहीं पूरी तरह से।

दावाहकीकत
भारत किसी औपचारिक वार्ता का हिस्सा हैऐसा कोई सबूत नहीं
mediator के रूप में भारत की भूमिका हैना तो Kyiv ने मांगा ना Moscow ने
भूमिकाएँ केवल optics तक सीमित हैंहाँ—वह दूर तक नहीं गई

निष्कर्ष: India Ukraine Talks 2025 ने India को एक ‘visible neutral voice’ के रूप में उभारा है, ना कि कोई invisible power broker।


India at the United Nations — निरंतर ऐसी मौजूदगी

2022 से UN में भारत ने Ukraine crisis पर एक consistent neutral रवैया अपनाया है:

  • कई बार ने abstain किया—विशेष रूप से उन प्रस्तावों पर जो Russia की निंदा करते थे।
  • देश ने humanitarian aid सम्बंधित प्रस्तावों का समर्थन किया, लेकिन सैन्य या प्रतिबंधों से जुड़ा प्रस्ताव नहीं।
  • पीएम मोदी ने कहा कि “This is not an era of war।” यह global मीडिया और UN में quote बन गया।

Energy Diplomacy — तेल बनी India की ताकत

Russia पर पश्चिम के प्रतिबंधों के बीच, भारत ने रूस से discounted crude oil imports बढ़ाकर अपना लाभ बनाया:

  • 2021 में रूस भारत का मुख्य तेल स्रोत नहीं था।
  • 2023–24 तक रूस भारत का largest oil supplier बन गया।
  • अनुमान है कि 2024–25 में भारत ने रूस से 1.6 million barrels per day तक आयात किया।

इन कदमों ने दो प्रमुख परिणाम दिए:

  1. रूस को वैकल्पिक बाजार मिला और उसकी अर्थव्यवस्था स्थिर हुई।
  2. भारत को सस्ता तेल मिला जिससे घरेलू महंगाई नियंत्रण में मदद मिली और अर्थव्यवस्था लाभान्वित हुई।

Global South Factor — भारत की Soft Power

Ukraine संघर्ष ने Global South देशों को विभाजित कर दिया—कई developing देश पश्चिम या रूस–चीन धुरी में शामिल नहीं हुए। इस वैक्यूम में भारत ने खुद को Global South की आवाज़ के रूप में स्थापित किया।

प्रधानमंत्री मोदी ने बार-बार कहा कि developing world को युद्ध के सबसे ज्यादा नुकसान झेलने पड़ रहे हैं—चाहे वह खाद्य संकट हो, ईंधन की कीमतें हों या उर्वरक की कमी।

इस वजह से यदि ज़ेलेंस्की और पुतिन दोनों ही Modi से संपर्क कर रहे हैं, तो यह भारत की increasing credibility और neutral image का संकेत है।


Historical Context (2022–2025) — भारत की एकरूप नीति

  • 2022: युद्ध शुरू होते ही भारत ने UN में abstain किया, और Operation Ganga के ज़रिए हजारों छात्रों को Ukraine से सुरक्षित निकाला।
  • 2023: G20 अध्यक्षता के दौरान भारत ने Ukraine मामले पर संतुलित दृष्टिकोण बनाए रखा जिससे संयुक्त बयान (joint declaration) संभव हो सका।
  • 2024: तेल व्यापार और रक्षा सौदों ने भारत–रूस संबंध गहरे बनाए, जबकि अमेरिका और EU के साथ संबंध भी मजबूत रहे।
  • 2025: आज, दोनों पक्ष—Zelensky और Putin—सीधे पीएम मोदी को कॉल करते हैं, जिससे India की credibility global optics में स्पष्ट होती है।

भविष्य की दिशा — क्या भारत बना Mediator?

  • संक्षिप्त अवधि में (short term): भारत mediator नहीं बन सकता, क्योंकि इसके लिए पश्चिम और रूस दोनों की सहमति जरूरी है।
  • दीर्घकालीन दृष्टिकोण (long term): यदि Trump–Putin वार्ताएँ आगे बढ़ती हैं और Global South की भूमिका बढ़ती है, तो भारत का ‘peace broker’ image और मजबूत हो सकता है।
  • फिलहाल, भारत का सबसे बड़ा फायदा यह है कि वह दोनों camps (Ukraine और Russia) में एक acceptable interlocutor बनकर खड़ा है।

निष्कर्ष

India Ukraine Talks 2025 ने भारत को एक अनूठी स्थिति में ला खड़ा किया है—जहाँ वह शांतिपूर्ण संवाद का समर्थक (peaceful dialogue) होने को दिखाता है, लेकिन साथ ही दृश्यतापूर्वक (visible) संतुलित आवाज़ के रूप में भी उभरता है। हालाँकि अभी भारत किसी भी औपचारिक वार्ता में मध्यस्थ (mediator) नहीं है, लेकिन उसकी भूमिका को अनदेखा करना मुश्किल है।

भारत mediator नहीं है, लेकिन अपनी balanced diplomacy के चलते वह एक साइलेंट डिप्लोमैट बन चुका है।

📌 Sources for Verification:

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