Trending

Vice President Election 2025: विपक्ष बनाम सरकार की निर्णायक जंग

Opposition vs Ruling Party Vice President Election 2025

भारत का Vice President चुनाव 2025 एक बेहद अहम राजनीतिक घटना है, जो केवल संवैधानिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि सत्ता समीकरण और लोकतांत्रिक संतुलन के लिहाज़ से भी महत्वपूर्ण है। उपराष्ट्रपति (Vice President of India) देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद है और यह पद सीधे तौर पर संसद की कार्यवाही और राजनीतिक समीकरणों पर असर डालता है।

इस आर्टिकल में हम आलोचनात्मक नज़रिए से समझेंगे कि भारत में Vice President चुनाव का असली महत्व क्या है, राजनीतिक दल इसके ज़रिए क्या संदेश देना चाहते हैं और आम जनता के लिए इसके क्या मायने हैं।


Vice President का संवैधानिक महत्व

भारत के संविधान के अनुसार, Vice President देश का दूसरा सबसे बड़ा पद है। यह केवल राष्ट्रपति (President) की अनुपस्थिति में कार्यभार संभालने तक सीमित नहीं है, बल्कि राज्यसभा (Rajya Sabha) के सभापति (Chairman) के तौर पर इसकी भूमिका बेहद अहम है।

  • उपराष्ट्रपति, राज्यसभा की कार्यवाही को संचालित करते हैं।
  • अगर राष्ट्रपति का पद किसी कारणवश रिक्त हो जाए, तो उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति बनते हैं।
  • संसद में संतुलन बनाए रखना और निष्पक्ष भूमिका निभाना उपराष्ट्रपति की ज़िम्मेदारी होती है।

लेकिन सवाल उठता है – क्या आज का भारतीय राजनीति का माहौल उपराष्ट्रपति को केवल संवैधानिक पदाधिकारी मानता है या फिर यह भी दलगत राजनीति का हिस्सा बन चुका है?


Vice President चुनाव की प्रक्रिया

Opposition vs Ruling Party Vice President Election 2025

Vice President Election अप्रत्यक्ष होता है। इसका मतलब यह है कि जनता सीधे वोट नहीं करती बल्कि सांसद (MPs) इस चुनाव में वोट डालते हैं।

  • चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा दोनों के निर्वाचित और नामित सांसद वोट देते हैं।
  • वोटिंग सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम (STV) और प्रोपोर्श्नल रिप्रज़ेंटेशन के आधार पर होती है।
  • उपराष्ट्रपति का कार्यकाल 5 साल का होता है।

यानी, यह चुनाव पूरी तरह से संसद के अंदर का राजनीतिक खेल है।


Vice President चुनाव 2025 – मौजूदा स्थिति

2025 का उपराष्ट्रपति चुनाव इसलिए अहम हो गया है क्योंकि सत्ता और विपक्ष, दोनों के बीच टकराव की स्थिति चरम पर है। एक तरफ सत्ताधारी दल (Ruling Party) अपनी पकड़ मजबूत करना चाहता है, वहीं दूसरी तरफ विपक्ष (Opposition) इसे सत्ता संतुलन का मौका मान रहा है।

राजनीतिक समीकरण साफ़ बताते हैं कि यह चुनाव केवल एक संवैधानिक प्रक्रिया नहीं बल्कि एक Political Statement है।


Vice President चुनाव – राजनीतिक दलों की रणनीति

सत्ताधारी दल का नज़रिया

सत्ताधारी दल (Ruling Party) उपराष्ट्रपति के पद का इस्तेमाल अपनी नीतियों और विचारधारा को और मजबूत करने के लिए करेगा। उपराष्ट्रपति राज्यसभा का संचालन करते हैं, इसलिए सरकार के लिए यह ज़रूरी है कि वहां कोई ऐसा चेहरा हो जो उनकी योजनाओं को smoothly आगे बढ़ा सके।

विपक्ष का नज़रिया

विपक्ष (Opposition) इसे सत्ता संतुलन का प्रतीक मान रहा है। विपक्ष चाहता है कि अगर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री पहले से ruling party के पास हैं, तो कम से कम Vice President का पद विपक्ष के पास होना चाहिए। इससे संसद में सरकार को चैलेंज करने की ताक़त मिल सकती है।


Vice President चुनाव – जनता के लिए मायने

यहां बड़ा सवाल है – आम जनता के लिए Vice President चुनाव का क्या महत्व है?

  • जनता सीधे इस चुनाव में वोट नहीं डालती।
  • लेकिन Vice President के फैसले संसद की कार्यवाही और कानून बनाने की प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं।
  • अगर उपराष्ट्रपति निष्पक्ष है तो लोकतंत्र मजबूत होता है, अगर वह पक्षपाती है तो लोकतंत्र पर सवाल उठते हैं।

Vice President चुनाव की आलोचनात्मक पड़ताल

अगर हम आलोचनात्मक नज़रिए से देखें, तो Vice President चुनाव केवल एक संवैधानिक प्रक्रिया नहीं बल्कि एक Political Battle है।

  • क्या उपराष्ट्रपति वास्तव में निष्पक्ष रहते हैं?
  • क्या यह पद अब दलगत राजनीति का हिस्सा बन गया है?
  • क्या जनता की उम्मीदें इस चुनाव में कहीं खो गई हैं?

आज का राजनीतिक परिदृश्य यही दिखाता है कि Vice President चुनाव को राजनीतिक दल Symbolic Power Game की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं।


ऐतिहासिक संदर्भ

भारत के इतिहास में कई Vice Presidents ने अपनी निष्पक्षता और गरिमा से इस पद को मज़बूत किया है। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन से लेकर हामिद अंसारी तक, इस पद ने भारत की राजनीति और संसद को दिशा दी है।

लेकिन हाल के वर्षों में यह बहस तेज़ हो गई है कि क्या उपराष्ट्रपति वाकई में निष्पक्ष रहते हैं या फिर ruling party के influence में काम करते हैं।


Vice President चुनाव और मीडिया की भूमिका

मीडिया भी Vice President चुनाव को लेकर divided दिखता है।

  • Pro-Government Media इसे ruling party की जीत बताता है।
  • Opposition समर्थक मीडिया इसे लोकतंत्र बचाने की लड़ाई कहता है।

यानी यह चुनाव अब केवल संसद का खेल नहीं बल्कि Media Narrative Battle भी बन चुका है।


निष्कर्ष

Vice President चुनाव 2025 केवल एक संवैधानिक प्रक्रिया नहीं बल्कि भारतीय राजनीति का एक बड़ा power play है। इस चुनाव से तय होगा कि संसद में सत्ता और विपक्ष का संतुलन कैसे बनेगा।

आलोचनात्मक नज़रिए से देखें तो यह चुनाव जनता के लिए उतना सीधा मायने नहीं रखता, लेकिन इसका असर लोकतंत्र की quality पर ज़रूर पड़ता है। उपराष्ट्रपति का पद अगर निष्पक्ष रहेगा तो संसद की गरिमा बनी रहेगी, लेकिन अगर यह पद भी राजनीति की भेंट चढ़ा, तो लोकतंत्र की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े होंगे।

Latest Politics Updates

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Index